-CA मनीष मल्होत्रा
गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) के मोर्चे पर लंबे समय बाद एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। केंद्र सरकार ने आठ साल पुराने GST ढांचे में आमूलचूल बदलावों का ऐलान करते हुए इसे अधिक सरल और तर्कसंगत बनाने की दिशा में कदम उठाया है। अब देश में केवल दो GST स्लैब — 5% और 18% ही रहेंगे। 12% और 28% स्लैब को समाप्त कर दिया गया है, जिससे कर ढांचे को अधिक सहज और पारदर्शी बनाने की कोशिश की गई है।
पहले इनकम टैक्स में दी गई राहत और अब GST में सुधार, यह दर्शाता है कि सरकार आमजन की परेशानियों को समझती है और उनके समाधान हेतु गंभीर प्रयास कर रही है। हालांकि, कुछ ऐसे महत्वपूर्ण बिंदु भी हैं जिन पर अब भी स्पष्टता और सतर्कता आवश्यक है।
1. ऑटोमेटेड रजिस्ट्रेशन: तकनीक का स्वागत, लेकिन मानवीय हस्तक्षेप से दूरी ज़रूरी
सरकार ने GST रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को ऑटोमेटेड करने की घोषणा की है। यह एक प्रशंसनीय कदम है जो करदाताओं को अनावश्यक देरी और भ्रष्टाचार से बचा सकता है। लेकिन यह तभी सार्थक होगा जब इसमें पूरी तरह से मानवीय हस्तक्षेप खत्म किया जाए।
एक अहम सवाल यह भी है कि अगर किसी कारोबारी की रजिस्ट्रेशन के बाद ₹2.5 लाख की टैक्स लायबिलिटी बनती है, तो क्या उसे नियमित रजिस्ट्रेशन लेना होगा या वही ऑटोमेटेड रजिस्ट्रेशन मान्य होगा? फिलहाल इस पर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश सामने नहीं आए हैं।
2. GST स्लैब घटे, लेकिन ट्रांसपोर्ट पर कर वृद्धि न बन जाए मुसीबत
GST स्लैब में कमी से कई वस्तुओं की कीमतें घटने की उम्मीद है। लेकिन यह ध्यान देने योग्य है कि गुड्स ट्रांसपोर्ट एजेंसी (GTA) के माध्यम से माल परिवहन की सप्लाई या रेल द्वारा कंटेनरों में माल परिवहन (भारतीय रेल को छोड़कर अन्य किसी भी व्यक्ति द्वारा), SAC कोड 9965 पर लागू GST को 12% से बढ़ाकर 18% कर दिया गया है।
इससे परिवहन कंपनियाँ अतिरिक्त 6% कर बोझ की भरपाई के लिए माल भाड़ा बढ़ा सकती हैं। ऐसे में लोगों को जिस मूल्य कटौती की उम्मीद है, वह पूरी नहीं हो पाएगी, क्योंकि बढ़ा हुआ भाड़ा वस्तुओं की कीमतों को फिर से ऊपर ले जा सकता है।
3. सीमेंट पर राहत: घर का सपना हो सकता है थोड़ा सस्ता, लेकिन
GST 2.0 के तहत सीमेंट पर कर में कटौती की गई है। यह निर्माण क्षेत्र के लिए एक बड़ा सकारात्मक संकेत है, जिससे मकान बनवाना कुछ हद तक सस्ता हो सकता है।
हालांकि, यह देखने की जरूरत होगी कि सरकार किस तरह से यह सुनिश्चित करती है कि इस टैक्स कटौती का लाभ अंततः उपभोक्ताओं तक पहुंचे, न कि केवल बिल्डर्स या थोक विक्रेताओं तक सीमित रह जाए।
4. स्टेशनरी और खाद्य उत्पादों पर राहत, पर पुराने स्टॉक का क्या?
सरकार ने बच्चों की कॉपियां, किताबें, पेंसिल, रबर जैसे स्टेशनरी आइटम्स पर GST खत्म कर दिया है। साथ ही, बिस्किट, नमकीन आदि पर भी GST घटाया गया है।
आम उपभोक्ता के लिए यह बड़ी राहत है. परन्तु सवाल यह है कि जिन कारोबारियों ने पहले से 21 सितंबर तक का स्टॉक भर रखा है, उनका क्या होगा? निश्चित तौर पर उनकी खरीदी ज्यादा में होगी, तो उन्हें बेनिफिट पहुंचाने के लिए क्या सरकार के पास कोई प्लान है?
5. बीमा पर GST खत्म: राहत या महंगे की आशंका?
लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर GST को समाप्त कर दिया गया है, जो कि काफी समय से चली आ रही एक मांग थी। इससे प्रीमियम दरों में गिरावट की उम्मीद की जा रही है।
लेकिन इसमें एक पेच भी है - पहले कंपनियां 18% GST का भुगतान कर ITC (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का लाभ लेती थीं। अब GST हटने के बाद वे ITC क्लेम नहीं कर पाएंगी, जिससे उनकी लागत बढ़ेगी।
इस स्थिति में, हो सकता है कि कंपनियां इस लागत की भरपाई के लिए प्रीमियम दरों में बढ़ोतरी करें, जिससे उपभोक्ता को अंततः कोई वास्तविक राहत न मिल पाए।
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