Friday, September 19, 2025

Assessment Year 2025-26 के आयकर आँकड़े : रिकॉर्ड तोड़ ITR दाख़िल!

 

Assessment Year 2025-26 के आयकर आँकड़े : रिकॉर्ड तोड़ ITR दाख़िल!

भारत में टैक्स अनुपालन लगातार नई ऊँचाइयों को छू रहा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के लिए आयकर विभाग ने 19 सितम्बर 2025 तक के आँकड़े जारी किए हैं।



अब तक के मुख्य आँकड़े (As on 19th September 2025)

  • 👥 13.48 करोड़ पंजीकृत उपयोगकर्ता (Registered Users)

  • 📝 7.55 करोड़ आयकर रिटर्न दाख़िल (ITR Filed)

  • 6.73 करोड़ रिटर्न सत्यापित (ITR Verified)

  • 4.67 करोड़ सत्यापित रिटर्न पहले ही संसाधित (Processed)

ITR दाख़िल करने की अंतिम तिथि (u/s 139(1))

साधारण करदाताओं (Non-Audit Cases) के लिए ITR दाख़िल करने की अंतिम तारीख 16 सितम्बर 2025 थी।

किसे दाख़िल करना था रिटर्न?

  • जिनकी आय बुनियादी छूट सीमा से अधिक है।

  • जिन्होंने विदेशी संपत्ति/खाता रखा है।

  • जिनके बड़े वित्तीय लेनदेन हुए हैं (शेयर, म्यूचुअल फंड, प्रॉपर्टी आदि)।

  • जिन्हें हानि (Loss) को आगे ले जाना है।

अगर आपने डेडलाइन मिस कर दी तो?

घबराइए मत, आपके पास अब भी विकल्प हैं:

बिलेटेड रिटर्न – धारा 139(4)

  • कब तक? 31 दिसम्बर 2025 तक।

  • लेट फीस व ब्याज़ लागू होगा।

संशोधित रिटर्न – धारा 139(5)

  • अगर दाख़िल किए गए ITR में गलती रह गई हो।

  • कब तक? 31 दिसम्बर 2025 तक।

अपडेटेड रिटर्न – ITR-U

  • यदि आपने रिटर्न दाख़िल ही नहीं किया या बड़ी गलती रह गई।

  • कब तक? संबंधित आकलन वर्ष की समाप्ति से 2 साल तक

  • इसमें अतिरिक्त टैक्स + ब्याज़ देना होगा।


➡️ भारत में टैक्स कल्चर मज़बूत हो रहा है और करोड़ों करदाता अब ई-फाइलिंग प्लेटफ़ॉर्म पर भरोसा जता रहे हैं।

➡️ अगर आपने अभी तक रिटर्न दाख़िल नहीं किया है, तो भी आपके पास विकल्प मौजूद हैं।
➡️ लेकिन याद रखिए — जितनी जल्दी दाख़िल करेंगे, उतना कम जुर्माना और कम झंझट होगा।

👉 समय पर सही ITR दाख़िल करना आपकी वित्तीय साख और कानूनी अनुपालन दोनों के लिए बेहद ज़रूरी है।

Sunday, September 14, 2025

इनकम टैक्स पोर्टल क्रैश: करदाताओं की मुश्किलें और आगे की राह

इनकम टैक्स पोर्टल क्रैश: करदाताओं की मुश्किलें और आगे की राह



जब आख़िरी तारीख नज़दीक हो और सिस्टम ही काम न करे — क्या करदाताओं की आवाज़ सुनी जाएगी?”

सितंबर 2025 में, भारत में इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फ़ाइल करने की तय तारीख करीब आने पर इनकम टैक्स ई-फाइलिंग पोर्टल पर भारी तकनीकी गड़बड़ियों की शिकायतें सामने आई हैं। करदाता, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और टैक्स प्रोफेशनल्स सोशल मीडिया पर #IncomeTaxPortalCrash जैसे हैशटैग्स के ज़रिए अपनी परेशानी साझा कर रहे हैं। पोर्टल डाउन होना, लॉगिन न हो पाना, AIS/ Form 26AS /TIS जैसे दस्तावेज़ न मिलना, OTP या ट्रांज़ैक्शन में समस्याएँ आदि परेशानियों में शामिल हैं। 

समस्याएँ क्या-क्या सामने आ रही हैं?

1. बहुत ज़्यादा ट्रैफ़िक — एक साथ बहुत सारे लोग लॉग इन करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे सर्वर लोड बढ़ रहा है और सिस्टम स्लो या क्रैश हो रहा है। 


2. दस्तावेज़ डाउनलोड में परेशानी — AIS, Form 26AS, TIS आदि डाउनलोड नहीं हो पा रहे हैं या सही से खुल नहीं रहे। 


3. Utilities, Forms रिलीज़ में देरी — नए ITR फ़ॉर्म्स, टैक्स ऑडिट से जुड़े फ़ॉर्म और अन्य ज़रूरी टूल्स समय पर उपलब्ध नहीं हुए। 


4. टेक्निकल एरर और लॉग आउट हो जाना — बग्स, सत्र समाप्त होना (session timeout), validation errors आदि परेशानियों में शामिल हैं। 

5. अपर्याप्त समय — कामकाजी दिन कम होने, त्योहारों के बीच overlapping compliance तारीखें होने की वजह से करदाताओं पर समय की कमी पड़ी है।

क्या प्रतिक्रिया हुई? 

https://x.com/akhilpachori/status/1967164756072247488?t=hpDyTl0YTzQ2jdRwEsxdDQ&s=19

https://x.com/camalhotra/status/1966760603017437605?t=bXC2aRNuPwUfUntzbz_7rQ&s=19



करदाता और CAs सोशल मीडिया पर अपनी परेशानियाँ बता रहे हैं, पोर्टल को सही करने की गुज़ारिश कर रहे हैं। 


करदाताओं के लिए सुझाव

यदि आप इस स्थिति का सामना कर रहे हैं, तो ये उपाय आज़मा सकते हैं:

पोर्टल पर कम ट्रैफ़िक वाले समय चुनें — जैसे सुबह जल्दी या देर शाम।

ब्राउज़र कैश और कुकीज़ क्लियर करें, यदि संभव हो तो दूसरे ब्राउज़र या डिवाइस से कोशिश करें।

ज़रूरी दस्तावेज़ पहले तैयार रखें, ताकि जैसे ही पोर्टल खुले तो डाउनलोड / अपलोड आसानी से हो सके।

यदि ZIP, utility, या फ़ॉर्म रिलीज़ में देरी है, तो चैनलों (professional bodies) के माध्यम से extension की गुज़ारिश करें।

यदि किसी deadline से चूक हो जाए तो जान लें कि Belated Return विकल्प मौजूद है, लेकिन उसके दंड और ब्याज के प्रावधान होते हैं। 


सरकार और विभाग को ध्यान देने योग्य बातें

पोर्टल की क्षमता (server capacity) बढ़ाना चाहिए, ताकि peaks के दौरान system crash न हो।

फ़ॉर्म्स, utilities आदि का रिलीज़ समय पर होना चाहिए, ताकि करदाता और CA-professionals के पास पर्याप्त समय हो।

किसी आपदा या तकनीकी गड़बड़ी की स्थिति में स्पष्ट वैकल्पिक रवैया (relief measures) होना चाहिए — जैसे deadline extension, validation relaxations इत्यादि।

लगातार feedback और शिकायतों का त्वरित जवाब देना चाहिए, ताकि भरोसा बना रहे।

ITR फ़ाइलिंग का समय हर करदाता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जब सरकार ने नियम बनाए हैं, तो उसकी बुनियादी ज़िम्मेदारी है कि सिस्टम सुचारू रूप से चले और करदाताओं को अतिरिक्त बोझ न उठाना पड़े। इस साल जो परेशानियाँ सामने आई हैं, उन्हें हल करना ज़रूरी है — न सिर्फ़ करदाताओं की सुविधा के लिए बल्कि न्याय और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए भी।

आख़िरी तारीख यानी 15 सितंबर 2025 आ रही है; इसलिए देर ना करें, अभी जो तैयार हो सकते हैं तैयारी कर लें, और ज़रूरत पड़े तो extension की मांग में शामिल हों।

Monday, September 8, 2025

सोने की कीमतें क्यों बढ़ रही हैं?


पिछले कुछ समय से सोने की कीमतों में तेजी लगातार चर्चा का विषय बनी हुई है। छोटे निवेशक हों या बड़े संस्थागत निवेशक, सभी यही जानना चाहते हैं कि आखिर सोने का दाम इतना क्यों बढ़ रहा है। आइए सरल भाषा में समझते हैं इसके प्रमुख कारण।


सोने की कीमत बढ़ने के मुख्य कारण

अनिश्चित दौर में सुरक्षित निवेश
जब दुनिया में युद्ध, आर्थिक मंदी या राजनीतिक तनाव जैसी परिस्थितियाँ बनती हैं, तो निवेशक अपनी पूँजी को सुरक्षित जगह लगाने की कोशिश करते हैं। सोना लंबे समय से सुरक्षित आश्रय (Safe Haven) माना जाता है। हाल की भू-राजनीतिक स्थितियों और अस्थिर माहौल ने सोने की माँग को तेज़ी से बढ़ाया है।

केंद्रीय बैंकों की बड़ी खरीदारी
भारत, चीन और रूस जैसे कई देश डॉलर पर निर्भरता घटाने के लिए अपने विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का हिस्सा बढ़ा रहे हैं। इन बैंकों की भारी खरीद ने वैश्विक स्तर पर कीमतों को और ऊपर धकेला है।

डॉलर और ब्याज दरों का प्रभाव
सोना और अमेरिकी डॉलर ज्यादातर विपरीत दिशा में चलते हैं। जब डॉलर कमजोर होता है, तो सोने की कीमत बढ़ जाती है। इसी तरह, यदि अमेरिकी फेडरल रिज़र्व ब्याज दरों में कटौती करता है, तो सोना निवेश के लिहाज से और आकर्षक हो जाता है।

महँगाई से बचाव
बढ़ती महँगाई से जब मुद्रा की क्रय शक्ति घटती है, तो लोग ऐसे निवेश की तलाश करते हैं जो मूल्य अक्षुण्ण रख सके। सोना सदियों से इन्फ्लेशन हेज यानी महँगाई से बचाव का सबसे सुरक्षित विकल्प माना जाता है। यही कारण है कि महँगाई दबाव के समय सोने की खास माँग बढ़ जाती है।

निवेश और आभूषण की मजबूत माँग
भारत और चीन जैसे देशों में सोना केवल निवेश ही नहीं, बल्कि परंपरा और संस्कृति से भी जुड़ा है। आभूषणों की लगातार बनी रहने वाली माँग के साथ-साथ गोल्ड ETF और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जैसे नए साधनों ने निवेशकों की रुचि और बढ़ा दी है।

सीमित आपूर्ति
खनन की रफ्तार सीमित है और नई खदानें तेजी से विकसित नहीं हो पा रही हैं। ऐसे में मामूली बढ़ी हुई माँग भी सोने की कीमतों को ऊपर धकेल देती है।

निष्कर्ष
सोने की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं क्योंकि वैश्विक अनिश्चितता, महँगाई का दबाव, डॉलर की कमजोरी और केंद्रीय बैंकों की आक्रामक खरीदारी ने इसे और आकर्षक बना दिया है। आने वाले समय में यदि यही परिस्थितियाँ बनी रहती हैं, तो सोने के दामों में और मजबूती देखने को मिल सकती है।

Friday, September 5, 2025

GST 2.0: स्वागत योग्य सुधार, लेकिन इन 5 बिंदुओं पर ध्यान देना जरूरी है

GST 2.0: स्वागत योग्य सुधार, लेकिन इन 5 बिंदुओं पर ध्यान देना जरूरी है
-CA मनीष मल्होत्रा

गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) के मोर्चे पर लंबे समय बाद एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। केंद्र सरकार ने आठ साल पुराने GST ढांचे में आमूलचूल बदलावों का ऐलान करते हुए इसे अधिक सरल और तर्कसंगत बनाने की दिशा में कदम उठाया है। अब देश में केवल दो GST स्लैब — 5% और 18% ही रहेंगे। 12% और 28% स्लैब को समाप्त कर दिया गया है, जिससे कर ढांचे को अधिक सहज और पारदर्शी बनाने की कोशिश की गई है।

पहले इनकम टैक्स में दी गई राहत और अब GST में सुधार, यह दर्शाता है कि सरकार आमजन की परेशानियों को समझती है और उनके समाधान हेतु गंभीर प्रयास कर रही है। हालांकि, कुछ ऐसे महत्वपूर्ण बिंदु भी हैं जिन पर अब भी स्पष्टता और सतर्कता आवश्यक है।

 
1. ऑटोमेटेड रजिस्ट्रेशन: तकनीक का स्वागत, लेकिन मानवीय हस्तक्षेप से दूरी ज़रूरी

सरकार ने GST रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को ऑटोमेटेड करने की घोषणा की है। यह एक प्रशंसनीय कदम है जो करदाताओं को अनावश्यक देरी और भ्रष्टाचार से बचा सकता है। लेकिन यह तभी सार्थक होगा जब इसमें पूरी तरह से मानवीय हस्तक्षेप खत्म किया जाए।

एक अहम सवाल यह भी है कि अगर किसी कारोबारी की रजिस्ट्रेशन के बाद ₹2.5 लाख की टैक्स लायबिलिटी बनती है, तो क्या उसे नियमित रजिस्ट्रेशन लेना होगा या वही ऑटोमेटेड रजिस्ट्रेशन मान्य होगा? फिलहाल इस पर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश सामने नहीं आए हैं।


2. GST स्लैब घटे, लेकिन ट्रांसपोर्ट पर कर वृद्धि न बन जाए मुसीबत

GST स्लैब में कमी से कई वस्तुओं की कीमतें घटने की उम्मीद है। लेकिन यह ध्यान देने योग्य है कि गुड्स ट्रांसपोर्ट एजेंसी (GTA) के माध्यम से माल परिवहन की सप्लाई या रेल द्वारा कंटेनरों में माल परिवहन (भारतीय रेल को छोड़कर अन्य किसी भी व्यक्ति द्वारा), SAC कोड 9965 पर लागू GST को 12% से बढ़ाकर 18% कर दिया गया है।
इससे परिवहन कंपनियाँ अतिरिक्त 6% कर बोझ की भरपाई के लिए माल भाड़ा बढ़ा सकती हैं। ऐसे में लोगों को जिस मूल्य कटौती की उम्मीद है, वह पूरी नहीं हो पाएगी, क्योंकि बढ़ा हुआ भाड़ा वस्तुओं की कीमतों को फिर से ऊपर ले जा सकता है।

3. सीमेंट पर राहत: घर का सपना हो सकता है थोड़ा सस्ता, लेकिन

GST 2.0 के तहत सीमेंट पर कर में कटौती की गई है। यह निर्माण क्षेत्र के लिए एक बड़ा सकारात्मक संकेत है, जिससे मकान बनवाना कुछ हद तक सस्ता हो सकता है।

हालांकि, यह देखने की जरूरत होगी कि सरकार किस तरह से यह सुनिश्चित करती है कि इस टैक्स कटौती का लाभ अंततः उपभोक्ताओं तक पहुंचे, न कि केवल बिल्डर्स या थोक विक्रेताओं तक सीमित रह जाए।


4. स्टेशनरी और खाद्य उत्पादों पर राहत, पर पुराने स्टॉक का क्या?

सरकार ने बच्चों की कॉपियां, किताबें, पेंसिल, रबर जैसे स्टेशनरी आइटम्स पर GST खत्म कर दिया है। साथ ही, बिस्किट, नमकीन आदि पर भी GST घटाया गया है।

 आम उपभोक्ता के लिए यह बड़ी राहत है. परन्तु सवाल यह है कि जिन कारोबारियों ने पहले से 21 सितंबर तक का स्टॉक भर रखा है, उनका क्या होगा? निश्चित तौर पर उनकी खरीदी ज्यादा में होगी, तो उन्हें बेनिफिट पहुंचाने के लिए क्या सरकार के पास कोई प्लान है?  
 

5. बीमा पर GST खत्म: राहत या महंगे की आशंका?

लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर GST को समाप्त कर दिया गया है, जो कि काफी समय से चली आ रही एक मांग थी। इससे प्रीमियम दरों में गिरावट की उम्मीद की जा रही है।

लेकिन इसमें एक पेच भी है - पहले कंपनियां 18% GST का भुगतान कर ITC (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का लाभ लेती थीं। अब GST हटने के बाद वे ITC क्लेम नहीं कर पाएंगी, जिससे उनकी लागत बढ़ेगी।

इस स्थिति में, हो सकता है कि कंपनियां इस लागत की भरपाई के लिए प्रीमियम दरों में बढ़ोतरी करें, जिससे उपभोक्ता को अंततः कोई वास्तविक राहत न मिल पाए।

GST 2.0 is a Welcome Move, But These 5 Issues Need Attention

GST 2.0 is a Welcome Move, But These 5 Issues Need Attention
CA Manish Malhotra

There’s finally some good news on the Goods and Services Tax (GST) front after a long time. The Modi government has announced major changes to the eight-year-old GST regime. Now, there will only be two tax slabs — 5% and 18%. The 12% and 18% slabs have been axed.
After earlier changes in income tax exemptions and now these GST reforms, it has become clear that the Modi government listens to people’s concerns, understands them, and makes sincere efforts to resolve them. However, some questions still remain unanswered.

1. Automated Registration – Good Initiative, But Needs Clarity 

Automated registration is a good step. However, it will only be truly rational if the process is completely free of human intervention. In simpler terms, if it’s not left to the discretion of any government official, it could turn out to be a highly effective move.
But one key question remains — if a business, after registration, incurs a liability of ₹2.5 lakhs, will it be required to switch to regular registration, or will the automated one still be valid? There is no clarity on this as yet. 

2. Reduced GST Slabs – But Transport Becomes Costlier
The reduction in GST slabs is expected to lower the prices of many goods. However, it's important to note that the GST on Supply of transport of Goods through GTA or supply of transport of goods in containers by rail by any person other than Indin railways, SAC code 9965 has been increased from 12% to 18%.
This might prompt transport companies to increase freight charges to compensate for the additional 6% tax burden. In such a scenario, the price reduction that people are hoping for might not materialize, as higher freight costs could drive up the prices of goods.
It would have been better if the government had not increased GST on transportation.

3. Lower GST on Cement – Positive Step, But Needs Monitoring

The cut in GST on cement is a welcome move. It will reduce construction costs and may make the dream of owning a home slightly more affordable.
However, the real question is how the government ensures that the benefits reach the common people. Typically, those who are supposed to benefit often don’t see any real gains. The mechanism to ensure this needs to be clearly defined.


4. Relief on Stationery and Snacks – But What About Old Stock?

GST has been removed on stationery items like children’s notebooks, books, pencils, sharpeners, erasers, etc. Similarly, GST has been reduced on snacks like biscuits and savory items.
This is a big relief for the common consumer. However, there is a practical issue:
What happens to businesses that have already stocked goods until September 21 at the old tax rates?
Obviously, their procurement costs were higher. So does the government have a plan to compensate or adjust for this?


5. GST Removed from Life and Health Insurance – A Double-Edged Sword
GST has been removed from life and health insurance policies, a move that was being demanded for a long time. It’s expected that premium costs may go down now.

However, there’s also a flip side — insurance may become more expensive.
Earlier, insurance companies used to pay 18% GST but could claim Input Tax Credit (ITC) on business expenses. Now, with GST removed, they cannot claim ITC, which increases their operating costs.
To compensate for this loss, companies may decide to hike insurance premiums.
While GST 2.0 is undoubtedly a step in the right direction, several implementation challenges and policy gaps need to be addressed. For the reforms to truly benefit the public, clarity, transparency, and proper enforcement mechanisms are essential.

Assessment Year 2025-26 के आयकर आँकड़े : रिकॉर्ड तोड़ ITR दाख़िल!

  Assessment Year 2025-26 के आयकर आँकड़े : रिकॉर्ड तोड़ ITR दाख़िल! भारत में टैक्स अनुपालन लगातार नई ऊँचाइयों को छू रहा है। वित्तीय वर्ष 20...